पाठकायन पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
गृह-पृष्ठ
काव्य-कर्म
आलेख
शोध-पत्र
बाल-साहित्य
कहानी
हिंदी-व्याकरण
पुस्तक-समीक्षा
लेखक मंच
साहित्यिक गतिविधियाँ
कवि-परिचय
गीत
साक्षात्कार
समाचार
रिपोर्ताज
संस्मरण
अनुवाद
शुभकामनाएँ
मुक्तक
निमंत्रण
नवाचार
▼
सोमवार, 9 सितंबर 2013
सहशिक्षा कब और क्यों? (आलेख)
›
सहशिक्षा कब और क्यों? सहशिक्षा के सम्बन्ध में विद्वानों के विभिन्न मत हैं जिन्हें निम्न परिभाषाओं के माध्यम से समझा जा सकता है | ब्रि...
1 टिप्पणी:
बुधवार, 4 सितंबर 2013
पथ पर चलते एक जन को देखा (कविता)
›
पथ पर चलते एक जन को देखा पथ पर चलते एक जन को देखा जिज्ञासु उस हिय को देखा प्रवाहहीन मुरझाये स्वर-सा संत्रासित बिन नीर निर्झर का ...
मंगलवार, 3 सितंबर 2013
लिंगीय पक्षपात ग्रामीण विकास में बाधक (आलेख)
›
लिंगीय पक्षपात ग्रामीण विकास में बाधक डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण ( वर्ष 47 , अंक 5, दिसम्बर 2001) से पुनर्प्रकाशित...
राजनीति एवं प्रशासन में महिलाएं (आलेख)
›
राजनीति एवं प्रशासन में महिलाएं (आलेख) डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण ( वर्ष 47 , अंक 1, अगस्त 2001) से पुनर्प्...
बालिका शिक्षा का महत्व (आलेख)
›
बालिका शिक्षा का महत्व (आलेख) -डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण ( वर्ष 46 , अंक 1, अगस्त 2000) से पुनर्प्रक...
कृषि क्षेत्र और महिलाएं (आलेख)
›
कृषि क्षेत्र और महिलाएं -डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण ( वर्ष 45 , अंक 1, अगस्त 1999) से पु...
बाल श्रमिक और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला (आलेख)
›
बाल श्रमिक और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण ( वर्ष 44 , अंक 10, मई 1999) से पुनर्...
जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरणीय ह्रास (आलेख)
›
जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरणीय ह्रास (आलेख) डॉ. वी. के. पाठक साभार: समाज कल्याण...
शुक्रवार, 30 अगस्त 2013
चिट्ठी (कहानी)
›
-डॉ. वी. के. पाठक ...
गुरुवार, 29 अगस्त 2013
सच्ची भारतीयता के संस्कार दें नौनिहालों को (आलेख)
›
सच्ची भारतीयता के संस्कार दें नौनिहालों को किसी भी राष्ट्र के सर्वतोन्मुखी विकास के लिये तथा आजादी की शमा को रोशन रखने के लिये यह अत्य...
रविवार, 25 अगस्त 2013
मैं एक शिक्षक हूँ ! (कविता)
›
मैं एक शिक्षक हूँ ! मैं एक शिक्षक हूँ ! मैं राष्ट्र विधाता हूँ! राजनीति एवं राजनीतिज्ञों से परे सामाजिक प्रगाढ़ता को बढा रहा हूँ...
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
व्यथित हृदय अब रोता है! (कविता)
›
व्यथित हृदय अब रोता है! लोकतंत्र दे रहा दुहाई , व्यथित हृदय अब रोता है | आतंक , भ्रष्टाचार देख , भारत सिसकी लेता है | बलिद...
‹
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें