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सोमवार, 20 जनवरी 2014
भारतीय संस्कृति एवं दर्शन
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- डॉ. वी. के. पाठक दुर्लभं त्रयमेवैतद देवानुग्रह हेतुकम | मनुष्यत्वं मुमुक्षत्वं महापुरुष सं...
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रविवार, 19 जनवरी 2014
संयुक्त परिवार : एक आवश्यकता
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसीलिए उसे अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता हुई | इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए समाज की प्रथम इका...
गुरुवार, 26 दिसंबर 2013
सर्व यत्नेन पूज्यते
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- डॉ. वी. के. पाठक भारतीय संस्कृति का परिवेश अतीत काल से ही दूसरों के प्रति आदर, सम्मान सेवा एवं स...
बुधवार, 27 नवंबर 2013
विश्व-शान्ति एवं समृद्धि तथा गीता का गुण-कर्म
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-डॉ. वी. के. पाठक ईश्वर की सृष्टि में न्यूनाधिक रूप से क्रियाओं का व्यापार होता रहता है, ये सभी...
बुधवार, 16 अक्टूबर 2013
शिक्षक : राष्ट्र-विधाता एवं राष्ट्र-निर्माता
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शिक्षक : राष्ट्र-विधाता एवं राष्ट्र-निर्माता (आलेख) गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः | गुरोर्साक्षात परंब्रह्म ...
2 टिप्पणियां:
सोमवार, 9 सितंबर 2013
सहशिक्षा कब और क्यों? (आलेख)
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सहशिक्षा कब और क्यों? सहशिक्षा के सम्बन्ध में विद्वानों के विभिन्न मत हैं जिन्हें निम्न परिभाषाओं के माध्यम से समझा जा सकता है | ब्रि...
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